मंगलवार, 23 जुलाई 2013

काश की वो हमारी बेकरारी समझ पाते ,उनके बिना ना दिन को चैन है और ना रातो को नींद , जबसे मिले वो लगा मेरा सारा संसार उन्ही के पास है ,पर हम कह नहीं पाते है ,शायद मज़बूरी इसी का नाम है  , खैर कभी तो उनको भी मालूम होगा की हम उनसे क्या क्या सपने सजा के रखे थे ,मै तो कह नहीं पाता हु कभी, काश वो आके कह दे ,बेकरार वो भी है ,तो चैन आ जाये .
कल जब एक नया सवेरा होगा जीवन का वो हमसे बहुत दूर होंगे ,पर दिल होगा उन्ही के पास ,जीवन की इस रेस में क्या पता वो जीते की वो हारे ,पर नया सवेरा तो होगा ही

रंजीत मिश्रा

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