मंगलवार, 23 जुलाई 2013

ये प्यार कैसा होता है मै जान न पाया ,
बचपन बीता आई जवानी ,छाई मतवाली जवानी ,
इस जवानी दोड़ पड़ा मै सफलता की दोंड ,
मिली सफलता पर मिला न प्यार ,
ये प्यार कैसा होता है मै जान न पाया ,

जीवन की इस अविरत दौड़  में जब मै  दौड़ा ,
था मै  तनहा ही दौड़ा,मिली मंजिल ,
मंजिल में भी तनहा ही था ,न मिला प्यार मुझे ,
ये प्यार कैसा होता है मै  जान न पाया ,

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें