ये प्यार कैसा होता है मै जान न पाया ,
बचपन बीता आई जवानी ,छाई मतवाली जवानी ,
इस जवानी दोड़ पड़ा मै सफलता की दोंड ,
मिली सफलता पर मिला न प्यार ,
ये प्यार कैसा होता है मै जान न पाया ,
जीवन की इस अविरत दौड़ में जब मै दौड़ा ,
था मै तनहा ही दौड़ा,मिली मंजिल ,
मंजिल में भी तनहा ही था ,न मिला प्यार मुझे ,
ये प्यार कैसा होता है मै जान न पाया ,
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