आज कई दिन बाद वापस फेसबुक पर आ कर अच्छा लगा ,आप सभी मेरे फेसबुक मित्रो को होली कि अग्रिम हार्दिक सुभकामनाये इस उम्मीद के साथ कि आप सभी का जीवन रंगो से रंगीन रहे ,और रंगो से रंग कर आप सभी अपनी जीवन में खुशहाल रहते हुए ,अपने सपनो को साकार करें ।
गुलाल की छींटें
जो बिखराए थे कभी राहों में
मेरा फागुन
आज भी महका जाती हैं
छूती हैं हौले से मुझे
मन चन्दन हो जाता है
रंग पर चढ़ के
शब्द तुम्हारे
गलियारे में उधम मचाते हैं
रात डेवड़ी पर
औंधेमुँह सो जाते हैं
फींके सपने मेरे
इन्द्रधनुषी हो जाते हैं
बचा सबकी नज़र
मुझ पर फेंका
प्रेम रंग
उस का अभ्रक
चुभता है आज भी आँखों में
हर होली आँखें बरस जाती हैं
रंजीत मिश्रा
भिलाई ,छत्तीसगढ़ (भारत )
गुलाल की छींटें
जो बिखराए थे कभी राहों में
मेरा फागुन
आज भी महका जाती हैं
छूती हैं हौले से मुझे
मन चन्दन हो जाता है
रंग पर चढ़ के
शब्द तुम्हारे
गलियारे में उधम मचाते हैं
रात डेवड़ी पर
औंधेमुँह सो जाते हैं
फींके सपने मेरे
इन्द्रधनुषी हो जाते हैं
बचा सबकी नज़र
मुझ पर फेंका
प्रेम रंग
उस का अभ्रक
चुभता है आज भी आँखों में
हर होली आँखें बरस जाती हैं
रंजीत मिश्रा
भिलाई ,छत्तीसगढ़ (भारत )
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