शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013

आज दिल कर रहा है ,कि मैं भी किसी जंगल में जा कर वहा के लोगो के साथ बस जाऊ ,जहा पर न कोई सड़क हो ,न गाड़ी ,जहा पर प्रशासन भी आज तक न पहुँच पाया हो ,वहा रहने से कई फायदे रहेंगे ,बार -बार मोबाइल नहीं बजेगा और झूठ नहीं बोलना पड़ेगा ,आधी रात को कोई टारगेट पूरा करने नहीं कहेगा ,न कोई दोस्त होगा न  कोई दोस्ती ,टाइम से खाना मिलेगा और चैन कि नींद ,यहाँ पर तो अंतिम बार कब दिल से सोया था अब तो याद भी नहीं ।
रंजीत मिश्रा

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