शनिवार, 13 सितंबर 2014

अन्तागढ़ उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी भोजराज नाग को भारतीय गणराज्य के चुनाव इतिहास में १००% वोटो से जीतने पर हार्दिक बधाई ।


रंजीत मिश्रा

शनिवार, 2 अगस्त 2014

मेरे समस्त फेसबुकिया मित्रो को अंग्रेजी मित्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाये ,इस पर्व का बारे में मुझे कुछ ज्यादा तो मालूम नहीं है तो ज्यादा कुछ कहूँगा नहीं ।
मेरे मित्रो को याद करने के लिए कोई खास दिन की मै परवाह नहीं करता हु ,जब चाहे याद कर लेता हु ,मित्रता दिवस का इंतज़ार करना पड़े तो काहे की मित्रता ।

रंजीत मिश्रा

मंगलवार, 13 मई 2014

यदि पूरी ईमानदारी और लगनपुर्वक कार्य करने के पश्चात् भी कंपनी प्रबन्धन को लगे कि आप बेवकूफ है ,क्योकि आप उनके खोखले अस्वासन पर भी लगातार काम कर रहे है ,तो उस कंपनी या प्रबन्धन के साथ कार्य सम्पात कर घर मे सॉना जयादा हितकर है । ( सत्य घटना पर आधारित घटना )


रंजीत मिश्रा
भिलाई

सोमवार, 21 अप्रैल 2014

कई दिन से बहुत परेशान था , की अभी तक कुछ खास पढ़ाई नहीं किया है हमने अब क्या होगा सोच कर ,
लेकिन जब से अमेरिकन न्यूज़ पेपर द वाल ने खबर बताया है की 10 वी फैल वाड्रा जी 4 साल में 100000  से 325 करोड़ रुपये बना सकते है ,तब से अब दिल को शांति मिली है ।
10 वी फैल वाड्रा जी 4 साल में 100000  से 325 करोड़ रुपये बना सकते है तो मै वाड्रा से बहुत ज्यादा पढ़ लिया हु ,अब तो वाड्रा से पांच गुना पैसा लगा कर अगले 4 साल में ,मै भी 2000 करोड़ तो कमा ही लूंगा ,बस वाड्रा से मिल कर धंधे की गुप्त बात और जानकारी लेनी है ,अब सीधे 2000 करोड़ मिलने के बाद फेसबुक में मिलूंगा ।
तब तक के लिए अलविदा ।

रंजीत मिश्रा

रविवार, 30 मार्च 2014

थक गया हु ये जिंदगी तेरी नौकरी से,
 मुनासिब है कि तू मेरा हिसाब कर दे ।

शनिवार, 15 मार्च 2014

आज कई दिन बाद वापस फेसबुक पर आ कर अच्छा लगा ,आप सभी मेरे फेसबुक मित्रो को होली कि अग्रिम हार्दिक सुभकामनाये इस उम्मीद के साथ कि आप सभी का जीवन रंगो से रंगीन रहे ,और रंगो से रंग कर आप सभी अपनी जीवन में खुशहाल रहते हुए ,अपने सपनो को साकार करें ।


गुलाल की छींटें
जो बिखराए थे कभी राहों में
मेरा फागुन
आज भी महका जाती हैं
छूती हैं हौले से मुझे
मन चन्दन हो जाता है

रंग पर चढ़ के
शब्द तुम्हारे
गलियारे में उधम मचाते हैं
रात डेवड़ी पर
औंधेमुँह सो जाते हैं
फींके सपने मेरे
इन्द्रधनुषी हो जाते हैं

बचा सबकी नज़र
मुझ पर फेंका
प्रेम रंग
उस का अभ्रक
चुभता है आज भी आँखों में
हर होली आँखें बरस जाती हैं  


रंजीत  मिश्रा 
भिलाई ,छत्तीसगढ़ (भारत )


मंगलवार, 21 जनवरी 2014

आज कई दिनों बाद फिर गुस्सा आया और न चाहते हुए भी जुबान से गलत शब्द निकल गए ,कोशिश करता हु कि गुस्सा न आये और फिर भी आ जाये तो क्या करू ।