शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

दीपावली भारत में एक रोशनी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। आसमान में पटाखों की रोशनी के साथ घरों की रोशनी स्वास्थ्य, धन, ज्ञान, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए आकाश को श्रद्धा की अभिव्यक्ति है। एक विश्वास के अनुसार, पटाखों और आतिशबाजी की ध्वनि पृथ्वी पर रहने वाले लोगों की खुशी का उनके देवताओं को संकेत देते हैं।

हालाँकि दिवाली "रोशनी के त्योहार 'के रूप में जाना जाता है,पर इसका महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अर्थ" आंतरिक प्रकाश की जागरूकता है।  दिवाली विशेष रूप से सभी अंधेरे ,सभी बाधाओं और अज्ञान को नाश करने का और आंतरिक प्रकाश का उत्सव है। दीवाली में उत्सव आतिशबाजी, पूजा, रोशनी, मिठाई के बंटवारे के पीछे की कहानी का सार एक ही है - भीतरी आत्मा की सभी अज्ञानता को मिटा कर  वास्तविकता में आनन्द को प्राप्त करना।
दीवाली में घरों में मोमबत्तियाँ, बिजली की रोशनी और आतिशबाजी के प्रकाश द्वारा पूरे घर को जगमग किया जाता है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए पूरे घर की एक महीने पहले ही साफ-सफाई की जाती है। घर के कोने कोने को सजाया जाता है।
हिन्दू धर्म के अनुसार इस दिन विक्रम कैलेंडर के नए वर्ष की शुरूआत हो जाती है, व्यापारी वर्ग भी इस दिन किताबों का नया खाता खोलते हैं।दिवाली के बहुत पहले से लोग अपने मित्रों के और रिश्तेदारों के घर जाकर उपहार और मिठाईयों का आदान – प्रदान करते हैं। इस दिन सभी घर के लोग नए कपड़े पहनते हैं, जिसके लिए बहुत पहले से खरीदारी शुरू हो जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी और विघ्नविनाशक गणेश की पूजा की जाती है। दिवाली के दिन लक्ष्मी यंत्र और गणेश यंत्र की स्थापना कर, दीपक जला कर प्रसाद चढ़ा कर, फूलों द्वारा उनकी पूजा करें। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि  लक्ष्मी और गणेश की पूजा सदैव एक साथ ही करनी चाहिए। इनकी पूजा द्वारा घर में धन और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

मैरी तरफ से मेरे सभी मित्रो को दीपावली कि हार्दिक शुभकामनाये 

रंजीत मिश्रा 
9752606068